बिलासपुर–मनाली–लेह रणनीतिक रेल लाइन: 489 किमी लंबी परियोजना में 270 किमी सुरंगें, लागत ₹1.31 लाख करोड़
- By Gaurav --
- Friday, 12 Dec, 2025
Bilaspur–Manali–Leh strategic rail line:
भानुपल्ली–बिलासपुर–बेरी (63 किमी) नई रेल लाइन परियोजना को लागत-साझाकरण के आधार पर स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसमें केंद्र सरकार की 75% तथा हिमाचल प्रदेश सरकार की 25% हिस्सेदारी निर्धारित है। इसके अतिरिक्त, परियोजना से संबंधित भूमि अधिग्रहण की ₹70 करोड़ रुपये से अधिक की लागत हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा वहन की जाएगी। परियोजना का विस्तृत अनुमान ₹6,753 करोड़ रुपये की लागत पर स्वीकृत किया गया था, जिसमें ₹1,617 करोड़ रुपये भूमि लागत के रूप में शामिल है।
इस परियोजना के लिए हिमाचल प्रदेश में कुल 124 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसके मुकाबले राज्य सरकार ने केवल 82 हेक्टेयर भूमि ही उपलब्ध कराई है। उपलब्ध भूमि पर कार्य प्रारंभ किया जा चुका है, जबकि बिलासपुर से बेरी तक की भूमि अभी तक राज्य सरकार द्वारा हस्तांतरित नहीं की गई है। भूमि की अनुपलब्धता के कारण परियोजना की प्रगति पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
परियोजना पर अब तक कुल ₹5,252 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं। लागत-साझाकरण समझौते के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सरकार को ₹2,711 करोड़ रुपये का योगदान करना था, किंतु अब तक केवल ₹847 करोड़ रुपये ही जमा किए गए हैं। इस प्रकार, राज्य सरकार के ऊपर ₹1,863 करोड़ रुपये की राशि अभी भी बकाया है। अपने हिस्से की राशि समय पर उपलब्ध न कराने से परियोजना की गति प्रभावित हुई है।
राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्रतिबद्धताओं को पूर्ण रूप से पूरा न करने के कारण परियोजना की प्रगति में बाधा उत्पन्न हुई है। परियोजना को समयबद्ध रूप से आगे बढ़ाने हेतु राज्य सरकार के पूर्ण सहयोग की अत्यंत आवश्यकता है।
भारत सरकार इस परियोजना को शीघ्रता से क्रियान्वित करने के लिए पूर्णतः तत्पर है, किन्तु इसकी सफलता हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक सहयोग प्रदान किए जाने पर निर्भर करती है।
हिमाचल प्रदेश राज्य में पूर्णतः या आंशिक रूप से आने वाली अवसंरचना परियोजनाओं एवं सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए बजट आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2009–14 के दौरान इन परियोजनाओं पर औसतन ₹108 करोड़ प्रति वर्ष व्यय किया जाता था। इसके विपरीत, वर्ष 2025–26 में इन कार्यों के लिए बजट बढ़ाकर ₹2,716 करोड़ कर दिया गया है, जो पूर्व आवंटन की तुलना में 25 गुना से अधिक वृद्धि को दर्शाता है।
हिमाचल प्रदेश में कनेक्टिविटी सुधारने के लिए, नांगल बांध - ऊना - अंदौरा- दौलतपुर चौक (60 किमी) खंड का नांगल बांध - तलवारा - मुकेरियां नई लाइन परियोजना का कार्य शुरू कर दिया गया है। दौलतपुर चौक - करतोली पंजाब - तलवारा (52 किमी) खंड का कार्य भी शुरू हो गया है। इसके अलावा, चंडीगढ़-बद्दी नई लाइन (28 किमी) का कार्य भी 1540 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया है।
इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश में रेल संपर्क को बेहतर बनाने के लिए, बद्दी-घानाउली नई लाइन (25 किमी) का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली गई है।
बिलासपुर-मनाली-लेह नई पाइपलाइन को रक्षा मंत्रालय द्वारा रणनीतिक पाइपलाइन के रूप में चिह्नित किया गया है। सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। यह परियोजना हिमालय के दुर्गम भूभाग से होकर गुजरती है, जो भूवैज्ञानिक आश्चर्यों और अनेक समस्याओं से भरा हुआ है। परियोजना की कुल लंबाई 489 किलोमीटर है, जिसमें 270 किलोमीटर लंबी सुरंगें भी शामिल हैं। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना की अनुमानित लागत ₹1,31,000 करोड़ है।
किसी भी रेलवे परियोजना की स्वीकृति अनेक मापदंडों और कारकों के विस्तृत आकलन पर निर्भर करती है, जिनमें प्रस्तावित मार्ग के संभावित यातायात का अनुमान, लाभप्रदता का विश्लेषण, प्रथम और अंतिम मील कनेक्टिविटी, छूटी हुई कड़ियों को जोड़ना, भीड़भाड़ वाली या संतृप्त लाइनों का विस्तार, तथा राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और जनप्रतिनिधियों द्वारा उठाई गई मांगें शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, रेलवे की परिचालन संबंधी आवश्यकताएँ, सामाजिक-आर्थिक विचार, तथा निधियों की समग्र उपलब्धता भी परियोजना स्वीकृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वहीं, किसी स्वीकृत रेलवे परियोजना के पूर्ण होने की प्रक्रिया कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे—राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण, वन कटाई की अनुमति, उल्लंघनकारी उपयोगिताओं का स्थानांतरण, विभिन्न अधिकारियों से वैधानिक स्वीकृतियाँ, क्षेत्र की भूवैज्ञानिक और स्थलाकृतिक स्थितियाँ, परियोजना स्थल के आसपास की कानून-व्यवस्था की स्थिति, तथा परियोजना क्षेत्र में एक वर्ष में काम करने योग्य महीनों की संख्या।
ये सभी तत्व मिलकर रेलवे परियोजनाओं की प्रगति और समयबद्ध निष्पादन को सीधे प्रभावित करते हैं।
यह जानकारी केंद्रीय रेल मंत्री, सूचना एवं प्रसारण मंत्री और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।